Thursday, 27 April 2017

श्री सत्य साई आराधना महोत्सवम् | शाहाबाद मारकंडा | ज्योति ध्यान | Jyothi Meditation


श्री सत्य साई सेवा समिति शाहाबाद मारकंडा द्वारा श्री सत्य साई आराधना महोत्सवम् के अवसर पर 6 अप्रैल से 27 अप्रैल तक व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं समिति स्तर पर साधना को और अधिक गहन करने हेतु प्रतिदिन प्रातः 5-6 बजे तक अलग अलग भक्तों के घरों में ॐकारम्, सुप्रभातम्, ज्योति ध्यान, नामस्मरण एवं वेदपाठ का आयोजन किया गया, जिसमें प्रतिदिन 18-20 भक्तों ने भाग लिया । इसके साथ प्रत्येक गुरुवार को समिति भजन के बाद 10 मिनट के लिए सामूहिक ध्यान किया गया ।

Wednesday, 26 April 2017

Jyothi Meditation | Bhagwan Sri Sathya Sai Baba | ज्योति ध्यान

ज्योति-ध्यान(Jyoti-Meditation)
" ध्यान की विधि के बारे में भिन्न- भिन्न प्रशिक्षक भिन्न- भिन्न परामर्श देते हैं। परन्तु मैं तुम्हें ध्यान की सर्वश्रेष्ठ और प्रभावशाली प्रणाली बताना चाहता हूँ।याद रखो! आध्यात्मिक अनुशासन में यह पहला कदम है। प्रतिदिन इस पुण्य कार्य के लिए कुछ समय नियुक्त करो। इसके बाद समय की अवधि को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते जाओ। ध्यान के द्वारा तुम्हें मन की शक्ति बाहरी दुनिया से हटा कर भीतर हृदय में अन्तरवासी पर केन्द्रित करनी है। इस साधना से स्मृति तेज़ व बुद्धि प्रबल हो जाएगी।अन्ततः तुम्हें परमानन्द का अनुभव होने लगेगा। "
- श्री सत्य साई बाबा
प्रक्रिया इस प्रकार की हैः-

1 . प्रात: सूर्योदय से पूर्व का समय उपयुक्त है; क्योंकि इस समय रात्रि में विश्राम के बाद शरीर तरोताजा  (refreshed ) होता है; तथा दिन की अपेक्षा बाहरी वातावरण की शांति मन को विचलित भी नहीं होने देती।
2. एक दीपक या मोमबत्ती जिस की लौ स्थिर हो, आँखों के सामने सीध में रखो। मोटा कपड़ा आदि बिछा कर आसन कुछ ऊँचा कर लो, ताकि शरीर की ऊर्जा भुयोजित (earth) न हो।पद्मासन या सुखासन में सीधी स्थिर स्थिति में बैठो। थोडी देर मौन रहने का अभ्यास करो। यह मौन क्रिया (silent sitting) मन को विश्राम (relax) देने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। आराम से एक दो मिनट तक लम्बे गहरे सांस लो। मन पर किसी प्रकार का दबाव या जोर न डालो। यदि अनायास कोई विचार आते हैं, तो उन्हें देखो और गुजर जाने दो।
(बाबा-"मौन क्रिया ध्यान की दिशा में पहला चरण है।अत: ध्यान का निरन्तर अभ्यास तुम्हें समाधि की अवस्था तक ले जाएगा। ")
3 . मन में उठते हुए विचारों के वेग को शान्त करने के लिए, भगवान की स्तुति में कुछ श्लोक उच्चारण (recite) करो। फिर अपने सर्वप्रिय इष्टदेव के रूप (form) का ध्यान करते हुए, उसी के मधुर नाम का कुछ समय तक जाप करो।
यह क्रिया मन को नियंत्रित करेगी और तुम्हारे इष्टदेव की मोहिनी मूरत भी स्मृति में स्थित हो जाएगी। कुछ ही दिनों में तुम मानसिक एकाग्रता का आनन्द अनुभव करने लगोगे। याद रखो नाम व रूप में परिवर्तन नहीं करना चाहिए। ध्यान करने महान उत्साह व दृढ संकल्प के साथ बैठो ; और इस विश्वास के साथ साधना करो कि भगवान के नाम से सबकुछ पवित्र हो जाता है। मानस को प्रशिक्षित करने में नाम और स्वरुप दोंनॉ का समान महत्व है । प्रारम्भ में चंचल मन यदि इधर… उधर भागता है तो भी धैर्य रखो। कुछ समय पश्चात् मन और कई अन्य विकार तुम्हारे आधीन हो जाएँगे।
4. अब थोडी देर दीपक की लौ को निहारते रहो। यह दिव्य प्रकाश पवित्रता का प्रतीक है ; इस पर ध्यान क्रेन्दित करो और 2 1 बार ओंकार का जप (Recite) करो। फिर आँखे बन्द कर ज्योति को अपनी भृकुटि पर स्थिर करो। कल्पना करो इसका प्रकाश मन मन्दिर के पटल पर फैल रहा है इस दिव्य प्रकाश से मेंरे मन का अज्ञान रूपी अन्धकार दूर हो रहा है। मन में पवित्र और धार्मिक विचार उठ रहे हैं।इस ज्ञानोदय से मेरा प्रत्येक कार्य निःस्वार्थ और दूसरों की सेवा में अर्पित होगा।हे प्रभु! सब की भलाई ही मेंरे जीवन का उदेश्य बन जाए; और किसी के प्रति बुरी भावना कदापि न आए। ताकि मैं एक अच्छा इन्सान, परोपकारी मानव एवं सच्चा साइं भक्त बन सकूँ ।
5. अब ज्योति की लौ मेरी आँखों में प्रवेश कर इन्हें निर्मल व स्वस्थ बनाती है और प्रेरित करती है कि हर प्राणी में मैं साई की छवि ही देखूँ और हर जीव में दैवी तत्व ही निहारूँ। जो जैसा भी है उसे वैसा ही स्वीकार करूँ। में सदा भिन्नता में एकत्व का ही अनुभव करूँ। सारा ब्रह्माण्ड साईमय है : यह मुझे अनुभूति हो, ऐसी मेरी हार्दिक कामना है। यह दिव्य रोशनी मेरे कानों में प्रवेश कर इन्हें पावन बनाती है। मेरे कान किसी की बुराई सुनने की अपेक्षा प्रभु का गुणगान सुनने के आदी हों। भजन संकीर्तन की ध्वनि मुझे दैवी सांत्वना दें। फिर ज्योति को जिह्वा पर लाकर मैं संकल्प करता/करती हूँ कि यह अब सत्य वचन और प्रेम की वाणी मधुर ध्वनि में ही बोलेगी। प्रभु नाम का स्मरण करेगी और स्वास्थ्य प्रद शाकाहारी भोजन का ही सेवन करेगी। मेरी वाणी अनावश्यक वार्ता त्याग कर ज्ञानवर्धक विषयों पर चर्चा करेगी। इस प्रकार मेंरी ज्ञानेन्दियाँ नैतिक और रचनात्मक ढंग से प्रवृत्त हो जाऐगी।
6- अब यह ज्योति में अपने हृदय- कमल में उतारता/ उतारती हूँ। इस कमल की पंखुडियाँ एक- एक करके खुल रही हैं। अतः मेरे हर विचार , भावना एवं मानसिक उतार-चढ़ाव अंधकार से प्रकाश में बदल रहे हैं। ज्योति का प्रकाश अधिक तेज और विशाल हो रहा है ।इस दिव्य प्रकाश को अपने अंगों पर धीरे-धीरे ले जाकर मैं निश्चय करता/करती हूँ कि यह अंग केवल सदाचार का पालन करेंगे और धार्मिक कार्यों को ही करेगे। वे अब दैवी प्रकाश व प्रेम का उपकरण बन गए हैं। सो मेरे विचार, मेरी वाणी और मेर कर्मों में सामन्जस्य बनेगा।
 7. यह प्रकाश मेरे हाथों को शुभ कार्य करने और हिसा से दूर रहने की प्रेरणा देता है। इस निश्चय से आज के शुभ दिवस का प्रारम्भ करता/करती हूँ कि में दैनिक कार्य सम्पूर्ण निपुणता से सम्पन्न कर इन्हें प्रभु चरणों में अर्पित करूँ: जिससे मैं कर्मयोगी बन सकूँ। यह प्रकाश मेरे पैरों में प्रवेश कर इन्हें धर्म के रास्ते पर चलने की शक्ति देता है; तीर्थस्थानों और गुणी सज्जनों व संन्तो के सत्संग में जाने के लिए प्रोत्साहित्त करता है तदनुसार मेरे अन्तर मानवीय मूल्यों का विकास होगा और प्राचीन संस्कृति के प्रति व आत्मज्ञान लक्ष्य की प्राप्ति की और श्रद्धा बढ़ेगी।

8 _ इस प्रकार यह दैवी प्रकाश मुझे आध्यात्मिक पथ पर अग्रसर होने में सहायक है। सर्वप्रथम मैं इस दिव्य प्रकाश में स्वयं को महसूस करता हूँ(I am in the Light ) । तत्पश्चात्-मुझे अनुभव होगा कि यह प्रकाश मेरे अन्दर विद्यमान है (The Light is in me) । अन्तत : मुझे अनुभूति होती है कि मैं ही प्रकाश हूँ(I am the Light) । इस तरह देह भ्रांति समाप्त कर मैं आत्म ज्योति की अवस्था में प्रवेश करता/करती हूँ ।
9.अब यह ज्योति-प्रकाश मेरे अन्दर-बाहर पूरे वेग से फैल चुका है।अतः मेरे परिवार के सदस्य, मेरे संबन्धी है मेरे मित्र और शत्रु व अजनबी जो समस्त संसार के कोने- कोने में बस रहे हैं, इस के दायरे में आगए हैं है सब परब्रह्म
परमेश्वर की दया के पात्र बन गए हैं ; अत: वे दैवी ऊर्जा के स्वरूप हैँ।
1 0 . थोडी देर इसी स्थिति में बने रहो कि सारे संसार और सभीप्राणियों व जीवों में यहीं ज्योति-प्रकाश जो ब्रह्म का प्रतीक है , अन्तरवासी है। इसी प्रकाश में भगवान बाबा की दैवी एवं सुन्दर छवि को देखो। महसूस करो कि साई ही यह प्रकाश है;अतः यह प्रकाश ही साई
है ।
"हे दीन दयालु प्रभो! संसार में सुख और शान्ति का वरदान दो, और सभी लोगों को सत्य धर्म व प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा व शक्ति प्रदान करो" : इस प्रार्थना के साथ आहिस्ता से आँखें खोलो और निश्चय करो कि पूरा दिन इसी दिव्य प्रकाश (Divine Light) द्वारा तुम्हारा मार्गदर्शन होगा एवं हर पग पर रक्षा होगी।
11. (बाबा समझाते है कि इस साधना को दिनचर्या का आवश्यक व सूक्ष्म भाग बनाने से तुम्हारी इन्द्रियां व अंग दैवी ज्योति से प्रकाशित होते हुए शीघ्र ही तुम्हारे हृदय व मन को पवित्र बना देंगे। परिणाम स्वरूप तुम्हें न तो बुरे दृश्य, न घटिया बातों में रुचि रहेगी और न ही नशीले व हानिकारक पदार्थों की इच्छा होगी। मन की प्रवृत्ति दूसरों की भलाई करने में , न कि उन्हें किसी प्रकार की हानि पहुँचाने में होगी।
चेतना तुम्हें धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देगी; अत: स्वभाव में 'लोका: समस्ता सुखिनो भवन्तु' है की भावना दृढ़ होगी यथासम्भव साधना का समय, स्थान, अवधि, तरीका (Method), मुद्रा (Pose) में परिर्वतन न करें)
(यह "विधि' ' ध्यान वाहिनी; साधना… दी इन्वर्ड पाथ; सत्य साई वचनामृत भाग-10 और अन्य दैवी प्रवचनों पर आधारित है; निर्देशन (Instructions) प्राय: भगवानके शब्दों में ही दोहराए गए हैं। )
🙏 ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: 🙏
साई साधना से साभार
डॉ• सत्यकाम 

Tuesday, 25 April 2017

श्री सत्य साई आराधना महोत्सवम् | शाहाबाद मारकंडा | Shahabad Markanda








श्री सत्य साई सेवा समिति शाहाबाद मारकंडा द्वारा कल श्री सत्य साई आराधना दिवस मनाया गया । इस अवसर पर कल प्रातः हवन यज्ञ, नारायण सेवा और सायं विशेष भजन संध्या का आयोजन किया गया जिसमें प्रशान्ति भजनों के अतिरिक्त भावपूर्ण भक्तिमय गीतों की प्रस्तुति साई युवा गायकों और गायिकाओं द्वारा दी गई, जो कि इस प्रकार हैं:
मोहे ना बिसारो - विभूति शर्मा 
सागर से गहरा है प्यार - धर्मपाल चौहान
जब कोई बात बिगड़ जाए - अमरीक तलवार
मैं तो कब से तेरी शरण में हूँ - डाॅ• सत्यकाम
तुमने क्या क्या किया है हमारे लिए - अंकुश प्रभात वैभव प्रशान्त
साई नाम सुमिरन - अंकुश प्रभात वैभव प्रशान्त ।